जीवन को व्यसन मुक्त बनाती है दीक्षा – स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य

जीवन को व्यसन मुक्त बनाती है दीक्षा – स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य
एक किशोर को चंक्र एवं शंख लगाते स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज।

-सेक्टर 44 स्थित श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में सैकड़ों ने लिया नामदान
टुडे भास्कर डॉट कॉम
फरीदाबाद। सेक्टर 44 स्थित श्री सिद्धदाता आश्रम श्री लक्ष्मीनारायण दिव्य धाम में रविवार को दीक्षा का आयोजन हुआ। जिसमें सैकड़ों लोगों ने गुरु से नाम प्राप्त किया। इस अवसर पर दिव्यधाम के पीठाधिपति श्रीमद् जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने कहा कि नामदान पाने वाले का जीवन व्यसन मुक्त हो जाता है और वह परमात्मा की राह का अधिकारी हो जाता है।
इस अवसर पर नवदीक्षार्थियों को पंच विधि से नामदान दिया गया। उन्हें सबसे पहले यज्ञ करवाया गया, उसके बाद उनको जप तप आदि के बारे में बताया और तिलक प्रदान किया गया। इसके बाद उन्हें जनेऊ कराने के बाद शरणागत करवाया गया। इन पांच विधियों का श्री वैष्णव संप्रदाय में बड़ा महत्व माना जाता है। श्रीमद् जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने कहा कि नामदान लेते हुए जब व्यक्ति हवन करता है तो उसके सिंचित कर्म नष्ट हो जाते हैं और भक्त का नया जीवन हो जाता है। दूसरा शरीर पर शंख और चक्र को गोदने की प्रक्रिया आत्मा को परमात्मा से जोडऩे का साधन है। इसके होने के भाव से भक्त को अहसास रहता है कि वह वैष्णव है और उसे सतकर्म ही करने हैं, वह कर्म जो परमात्मा को प्रिय हैं।
उन्होंने बताया कि हम भाष्यकार स्वामी रामानुज के नाम से जाने पहचाने वाले इस संप्रदाय को रामानुज अथवा श्री संप्रदाय अथवा आचार्य संप्रदाय भी कहा जाता है। जिसका एक अर्थ यह भी है कि यहां हम सब गुरु की आज्ञा को सर्वोपरि मानकर परमात्मा के लिए कर्म करने वाले व्यक्ति हैं। उन्होंने बताया कि श्री सिद्धदाता आश्रम श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में नाम दान लेकर जुडऩे वाले असंख्य लोगों ने अपने व्यसन छोड़े हैं। जिससे यह लौकिक रूप से भी बड़ी महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। व्यसन मुक्त व्यक्ति समाज और परमात्मा दोनों को प्रिय हैं।

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