बलात्कार पीड़ितों के लिए मेटरनिटी क्लीनिक

बलात्कार पीड़ितों के लिए मेटरनिटी क्लीनिक
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todaybhaskar.com
भारतीय मूल की महिला ने यौन उत्पीड़न का शिकार हुई महिलाओं के लिए ब्रिटेन में पहला मेटरनिटी क्लीनिक खोला है.
इस क्लीनिक में अतिरिक्त मदद के लिए प्रशिक्षित नर्स, मनोवैज्ञानिक और बाल रोग विशेषज्ञ भी होंगे.
लंदन में बार्ट्स हेल्थ एनएचएस ट्रस्ट की मदद से ये क्लीनिक चलाया जा रहा है और अगर ये सफल होता है तो आने वाले समय में अन्य अस्पतालों में भी इसकी शुरुआत की जाएगी.
यह सेवा रॉयल लंदन हॉस्पिटल के नियमित मेटरनिटी वार्ड के साथ जुड़ी रहेगी और जिन महिलाओं को यहां भेजा जाएगा उन्हें अलग से उपचार दिया जाएगा.
इस प्रोजेक्ट ‘माई बॉडी बैक’ की स्थापना पवन अमारा ने की है, जो खुद रेप पीड़िता हैं.
वो कई ऐसी महिलाओं से मिल चुकी हैं, जिन्हें डिलीवरी के समय दिक्कतों का सामना करना पड़ा. वो कहती हैं, “एक महिला से यौन हमलावर ने कहा कि अगर तुम रिलैक्स रहो तो सबकुछ जल्द ठीक हो जाएगा.”
अमारा के अनुसार, जब उस महिला को क्लीनिक में यही बात कही गई तो स्वास्थ्यकर्मी इस बात से बिल्कुल अनजान थे कि ये उस रेपिस्ट जैसे ही शब्द थे.
केंद्र में कंसल्टेंट मिडवाइफ़ इंद्रजीत कौर कहती हैं कि ऐसे मामले में अतिरिक्त ध्यान देने की ज़रूरत होती है क्योंकि डिलीवरी के दौरान डर का दौरा पड़ सकता है और यौन हमले की यादें ताज़ा हो सकती हैं.
ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, इंग्लैंड और वेल्स में 16 से 59 साल के बीच की पांच में एक महिला किसी न किसी तरह की यौन हिंसा का शिकार होती है.
नेशनल स्टैटिस्टिक ऑफिस से मिली जानकारी के अनुसार, इंगलैंड और वेल्स में 16 से 59 आयुवर्ग की हर पांच में से एक महिला यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं.
बलात्कार और यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के लिए बच्चे को जन्म देना एक भयावह त्रासदी की तरह है जो उनके उपर हुए हमले को आजीवन सताते हैं.
इंद्रजीत कौर बताती हैं कि यदि हमें महिला के साथ हुए व्यवहार के बारे में पहले से पता चल जाता है तब हमारा मकसद ऐसी महिलाओं को प्रसव के दौरान आने वाली परेशानियों से बचाना और उनकी मदद करना होता है.
अमारा किशोरवय में खुद बलात्कार की शिकार हो चुकी हैं लेकिन पिछले साल अगस्त में रेप पिड़ितों के लिए एक क्लिनिक खोली तो उन्होंने अपनी पहचान उजागर कर दी.
जबसे ये सेवा शुरू हुई है 800 से अधिक महिलाएं इससे जुड़ चुकी हैं और इसी तरह की एक क्लीनिक ग्लासगो में भी खोलने की योजना चल रही है.

इस सेंटर को विदेशों से भी महिलाएं फ़ोन करती हैं और मदद लेती हैं.

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