‘नीरजा’ (रिव्यू) : पर्दे पर नीरजा के किरदार को सोनम ने किया जीवंत

‘नीरजा’ (रिव्यू) : पर्दे पर नीरजा के किरदार को सोनम ने किया...
neerja film review

todaybhaskar.com
new delhi| राम माधवानी के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘नीरजा’ शुक्रवार को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई। सच्ची घटना पर आधारित इस फिल्म में मुख्य भूमिका सोनम कपूर ने निभाई है। नीरजा भनोट किसी परिचय की मोहताज नहीं है जिन्होंने 5 सितंबर 1986 को सिर्फ 23 साल की उम्र में अपनी बहादुरी दिखाकर 359 जिंदगियां बचाई थी। हालांकि आतंकवादियों ने भनोट की इस दौरान गोली मारकर हत्या कर दी थी और वह शहीद हो गई थी।
फिल्म निर्देशक माधवानी ने सत्य घटना पर आधारित इस फिल्म में बारीकियों का काफी ख्याल रखा है। फिल्म कहीं से भी बोझिल नहीं लगती। फिल्म निर्देशक ने नीरजा भनोट के साहस, बहादुरी और संवेदना को काफी संजीदगी से उकेरा है तो वहीं नीरजा का किरदार निभाते हुए सोनम कपूर ने यह साबित किया है कि अच्छे किरदार उन्हें मिलें तो वह उनके साथ न्याय करेंगी। कहा जा सकता है कि सोनम की अब तक की यह सबसे अच्छी फिल्म है।
पूरी फिल्म सोनम कपूर यानी नीरजा पर केंद्रित है। फिल्म की कहानी न सिर्फ काफी दमदार है, बल्कि असरदार भी है। बहुत ही खूबसूरती के साथ नीरजा के पास्ट, प्लने हाईजैक जैसी घटनाओं को मोती के माले की तरह पिरोया गया है। इसके लिए निर्देशक राम माधवानी भी सलामी के हकदार हैं।
एक सच्ची हाईजैक की घटना पर आधारित इस फिल्म में कई ऐसी घटनाएं होती हैं, जो धड़कने बढ़ाती हैं। खासकर हाईजैकर्स द्वारा पैसेंजर्स पर किए गए अत्याचार। इस फिल्म के निर्देशन की खास बात यह है कि इसे बिल्कुल रियलिस्टिक अंदाज में पेश किया गया है। गोयाकि राम माधवानी का निर्देशन, सोनम और शबाना आजमी के बेजोड़ अभिनय का ही कमाल है कि दर्शकों को बांधे रखता है। इस फिल्म की मेकिंग की तुलना किसी भी इंटरनेशनल हाईजैकिंग फिल्म से की जा सकती है।
फिल्म की कहानी कुछ इस तरह हैनीरजा पैन एम फ्लाइट 73 को पकड़ती हैं, जो मुंबई से कराची पहुंचता है। कराची में चार आतंकवादी इस प्लेन को हाइजैक कर लेते हैं। आतंवादियों के प्लान के मुताबिक उन्हें प्लेन को साइप्रेस देश ले जाना था और वहां जेल में कैद उनके साथी को छुड़वाना था, लेकिन नीरजा सही वक्त पर पायलट्स को इस हाइजैक के बारे में मैसेज पहुंचा देती हैं और पायलट्स वहां से निकल भागते हैं, लिहाजा आतंकवादियों का आधा प्लान चौपट हो जाता है। आगे नीरजा किस तरह बहुदारी से लोगों की जान बचाती है ये दिखाया गया है। नीरजा अपने साहस और समझदारी से आतंकवादियों के सामने लोगों को समय-समय पर खाना पीना भी देती रहती हैं। नीरजा अपनी हिम्मत से ना केवल आतंवादियों के बड़े प्लान को फ्लॉप करती हैं, बल्कि सैकड़ों लोगों की जान भी बचाती हैं।
बात करें सोनम कपूर की तो यकीकन इस फिल्म के लिए वो तालियों की हकदार हैं। नीरजा भनोट के किरदार में जिस तरह सोनम ने खुद को ढाला है वो यक़ीनन तारीफ के काबिल है। इस फिल्म से सोनम ने उन सभी क्रिटिक्स का मुंह बंद कर दिया है जो उनकी एक्टिंग पर सवाल उठाते थे। ये फिल्म सोनम कपूर के कैरियर की अब तक की सबसे बेहतरीन फिल्म है। फिल्म में शबाना आज़मी ने भी लोगों का दिल जीता है। क्लाइमेक्स में उनका सीन यक़ीनन आपको अपनी माँ की याद दिला देगा।
गौर हो कि 7 सितंबर 1963 को चंडीगढ़, पंजाब में जन्मी नीरजा को डेथ के बाद कई वीरता अवॉर्ड दिए गए। इनमें भारत की ओर से उन्हें अशोक चक्र अवॉर्ड दिया गया। इतनी कम उम्र में पहले कभी किसी को यह पुरस्कार नहीं मिला। नीरजा को पाकिस्तान की तरफ से भी तमगा-ए-इंसानियत दिया गया था।

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