स्वयं का परिवर्तन, सामाजिक परिवर्तन का मूल मंत्र है – ऋषिपाल चौहान

स्वयं का परिवर्तन, सामाजिक परिवर्तन का मूल मंत्र है – ऋषिपाल चौहान
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अध्यक्ष ऋषिपाल चौहान बोलते हुए

todaybhaskar.com
faridabad| फरीदाबाद 21बी स्थित जीवा पब्लिक स्कूल के अध्यक्ष ऋषिपाल चौहान ने आज नए सत्र के प्रारंभ में सभी अध्यापकगणों का स्वागत किया।
विद्यालय के प्रांगण में उन्होंने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि यह विद्यालय के सिद्घान्तों एवं अध्यापिकाओं का अथक परिश्रम का ही परिणाम है कि इस वर्ष का परीक्षा परिणाम बहुत अच्छा रहा। अध्यक्ष ऋषिपाल चौहान के अनुसार हम मनुष्य पढ़ लिखकर उन्नति करना चाहते हैं व सभ्य समाज में रहना चाहते हैं। हम प्रदूषण मुक्त वातावरण व शांतिप्रिय समाज चाहते हैं। हमें अच्छी तकनीक चाहिए, हमें अच्छा  भोजन व रचनात्मक विचार भी चाहिए।
हम भारतीय इस प्रकार के समाज की कल्पना तो करते हैं लेकिन उस समाज की रचना करने व अपने समाज में व्याप्त कठिनाइयों को दूर करने का साहस नहीं जुटा पाते अथवा हम करना ही नहीं चाहते हैं व इसके लिए आवश्यक बातों को भी नहीं अपनाते व जानना भी नहीं चाहते।
चौहान के अनुसार एक समाज तभी स्वस्थ, संपन्न एवं शांतिप्रिय हो सकता है जब उस समाज में शिक्षा का वास्तविक रूप पूर्णतया प्रसारित हों और साथ ही शिक्षा के वास्तविक मूल्यों को अपनाया जाए।
वास्तव में यदि हम सामाजिक मूल्यों को देखें तो पायेंगे कि हमारी शिक्षा अधूरी है हम केवल पाठ्ïयक्रम से ही जुड़े है जबकि हमारी शिक्षा प्रणाली में नैतिक मूल्यों का भी समावेश होना चाहिए साथ ही वे तथ्य जो कि बेहद ज़रूरी है जैसे अनुशासन, दिनचर्या के नियम, स्वाध्याय, एस0 ओ0 ई0 इत्यादि। उपरोक्त अभिलाषाओं को पूर्ण करने के लिए अनिवार्य है कि हम इन सिद्घान्तों को अपनायें। शिक्षा  के मायने ही तब पूरे होंगे जब हम स्वयं को परिवर्तित करने का प्रयास करेंगे। जब हम स्वयं इन सब तथ्यों को अपना लेंगे तो अवश्य ही हमारे अंदर एक परिवर्तन आएगा जो समाज के लिए भी हितकारी होगा और यह कार्य शिक्षक भलीभांति कर सकते हैं कि वे अपने छात्रों की दक्षता एवं निपुणता को पहचानें तथा उनको उनकी दक्षता एवं निपुणता से ही आगे बढ़ाने का प्रयास करें, साथ ही अनुशासन, स्वाध्याय, दिनचर्या के नियमों के प्रति जागरूक करें। माता-पिता भी इस बात पर विशेष ध्यान दें कि उनके ब”ाों में किस प्रकार का गुण विद्यमान है एवं उस गुण के आधार पर वह कैसे उसका विकास करें साथ ही ब”ाों में आचार, विचार एवं व्यवहार पर भी अवश्य ध्यान दें।
इस अवसर पर विद्यालय की अध्यापिकाओं ने विद्यालय के सिद्घान्तों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया एवं उनकी उपयोगिता से भी अवगत कराया। इस दौरान विद्यालय में आई नई अध्यापिकाओं ने भी अपना परिचय दिया।

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