संस्कृत और संस्कृति को सहेजने का भगीरथ प्रयास

संस्कृत और संस्कृति को सहेजने का भगीरथ प्रयास
shri sidhdata ashram
छात्रों को सर्टिफिकेट देते हुए जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज।

– श्री सिद्धदाता आश्रम परिसर में संचालित हो रहा स्वामी सुदर्शनाचार्य वेद वेदांग संस्कृत महाविद्यालय
-बच्चों को दी जा रही प्राचीन एवं आधुनिक शिक्षा के साथ सनातन धर्म की भी शिक्षा
todaybhaskar.com
faridabad| आज के भौतिक कोलाहल के बीच भी भारत की पहचान संस्कृत और संस्कृति को सहेजने एवं संवर्धित करने का एक भगीरथ प्रयास फरीदाबाद में हो रहा है। यह प्रयास सूरजकुंड रोड स्थित श्री सिद्धदाता आश्रम परिसर में स्थित स्वामी सुदर्शनाचार्य संस्कृत वेद वेदांग महाविद्यालय के रूप में हमारे सामने है। जहां पर प्राथमिक से शास्त्री तक की शिक्षा निशुल्क कराई जाती है, वहीं बोर्डिंग सुविधा के साथ सभी छात्रों को समस्त खर्चे भी आश्रम ही देता है। यही कारण है कि दूर दूर से यहां प्रवेश के लिए लोग चले आते हैं।
सनातनी परंपरा के श्री रामानुज संप्रदाय के प्रमुख तीर्थ क्षेत्र के रूप में स्थापित हो चुके श्री सिद्धदाता आश्रम को इंद्रप्रस्थ एवं हरियाणा की पीठ के रूप में मान्यता है। माना जाता है कि इस स्थान पर मन से मांगने वाले को धर्म चतुष्टय यानि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की सहज प्राप्ति होती है। आश्रम परिसर में भव्य श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में नित माथा नवाने के लिए हजारों लोग आते हैं। इसी परिसर में अधिष्ठाता की याद एवं उनकी शिक्षाओं को स्वीकार कर स्वामी सुदर्शनाचार्य संस्कृत वेद वेदांग महाविद्यालय की स्थापना भी की गई है। इसका एक उपांग विद्यालय के रूप में भी स्थित है। यहां करीब 70 बच्चे निशुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इन बच्चों के आवास, खाने-पीने, वस्त्र, दवा आदि का इंतजाम भी आश्रम ही करता है। इन बच्चों को संस्कृत भाषा के साथ साथ हिंदी, अंग्रेजी, गणित व विज्ञान की शिक्षा भी दी जाती है जिससे कि यह यहां से सीखने के बाद बाहरी दुनिया में हर प्रकार से प्रतियोगी एवं प्रतिभागी बन सकेंं।
वर्ष 2009-10 में स्थापित स्वामी सुदर्शनाचार्य वेद विद्यालय की मान्यता उज्जैन स्थित संदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान से है, जिसमें सात वर्षीय कोर्स करवाया जाता है। यह कोर्स पूर्ण करने के बाद छात्र की शिक्षा बारहवीं समकक्ष हो जाती है। वहीं दीक्षांत समारोह में बच्चे को करीब 84 हजार रुपये भी दिए जाते हैं कि जिससे उसके समाज में जाने पर तुरंत भरण पोषण का भार न पड़े।
इसी प्रकार वर्ष 2011-12 में स्थापित स्वामी सुदर्शनाचार्य वेद वेदांग संस्कृत महाविद्यालय की मान्यता वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से है। जिसके तहत शास्त्री तक शिक्षा प्रदान की जा रही है। इन छात्रों को संस्कृति एवं सनातन परंपरा की शिक्षा भी दी जाती है कि यह एक कुशल नागरिक भी बन सकें और राष्ट्र निर्माण में भी भागी हों।
आश्रम के अधिष्ठाता अनंतश्री विभूषित इंद्रप्रस्थ एवं हरियाणा पीठाधीश्वर श्रीमद् जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज कहते हैं कि समयानुसार आधुनिक शिक्षा लेनी चाहिए लेकिन अपने धर्म, संस्कृति एवं परंपरा की शिक्षा भी आवश्यक है। अब आज के समय में तो यह मुमकिन नहीं है कि सभी संस्कृत की शिक्षा ले लें लेकिन हम ऐसे शिक्षक तैयार कर रहे हैं जो आने वाले समय में समाज को संस्कृत, संस्कृति एवं परंपरा के बारे में न केवल जागरुक करेंगे बल्कि शिक्षित भी करेंगे।

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