47 बार रक्तदान कर चुके डा हेमंत अत्री अंगदान के लिए भी कर रहे प्रेरित  

47 बार रक्तदान कर चुके डा हेमंत अत्री अंगदान के लिए भी...
dr hemant atri

-मरीजों को खून न मिलने पर जान गंवाते देख लिया था प्रण
Yashvi Goyal
फरीदाबाद। जीते जी रक्तदान और मरने के बाद आर्गन दान की मुहिम चला डॉ. हेमंत अत्री अब तक 47 बार रक्तदान कर चुके हैं। मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ार्ई के दौरान जब एक मरीज को खून न मिलने के कारण जान गंवाते देखा तो उन्होंने ठान लिया कि अब किसी की जान खून की कमी के कारण नहीं जाएगी।
डॉ. हेमंत अत्री ने बताया कि उन्होंने यह मुहिम सन् 2007 में गुजरात से आरंभ की थी। उस दौरान उन्होंने स्टूडेंट लेबल पर ब्लड डोनर एसोसिएशन बनाई थी। जिसमें छात्रों को जोड़ा गया। पढ़ाई के दौरान भी उन्हें जैसे ही पता चलता था कि किसी मरीज को रक्त की जरूरत पड़ी है, तो वह लेक्चर खत्म कर रक्तदान करने पहुंच जाते थे। र्फोटिस अस्पताल में प्रेक्टिस कर रहे डा अत्री सर्जरी के दौरान किसी मरीज को रक्त की जरूरत पडऩे पर खुद रक्तदान करने से पीछे नहीं हटते हैं।

सोशल मीडिय़ा के जरिए जुड़े हुए लोगों से
डॉ. अत्री ने बताया कि उन्होंने कॉलेज टाइम से ही गु्रप बनाया हुआ है जो आज तक चल रहा है। इसमें ज्यादातर मेडिकल कॉलेज के छात्र एवं युवा जुड़े हुए हैं। उन्होंने अपना मोबाइल नंबर भी फेसबुक पर सांझा किया हुआ है, ताकि जब किसी को रक्त की जरूरत पड़े तो वह डॉ. अत्री को फोन कर सके साथ ही वह आर्गन डोनेट की मुहिम भी चला रहे हैं। जिसमें वह अब तक अपने परिवार समेत 700 लोगों के आर्गन डोनेट करवा चुके हैं।

रक्तदान करने शरीर में होता है नई उर्जा का संचार
डॉ. अत्री ने बताया कि जब उन्होंने सन् 2007 में रक्तदान करने की मुहिम शुरू की थी। तो लोगों में यह मिथ्या थी कि रक्त दान करने से शरीर में कमजोरी आती है। जिससे लोग रक्तदान करने से बचते थे। लेकिन डॉ. अत्री ने लोगों को समझाया कि रक्तदान करने से शरीर में कमजोरी नहीं आती। बल्कि शरीर में एक नई उर्जा का संचार होता है और शरीर में रक्त फिर से बन जाता है।

समाजसेवा को मानते हैं दूसरी नौकरी
युवाअवस्था से ही समाज के लिए काम कर रहे डॉ हेमंत अत्री आज अपने पेशे के अलावा समाजसेवा को अपनी दूसरी नौकरी मानते हैं और इन मुहिम के अलावा वह मीठापुर स्थित जज्बा फाउंडेशन में जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाते हैं। महिलाओं को उनके पैरों पर खड़ा करने के लिए संस्था के साथ मिलकर सिलाई सेंटर चला रहे हैं। वहीं स्लम एरिया में जाकर बच्चों को कपड़े व अन्य वस्तुएं बांटते हैं।

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