पर्यावरण मंत्री विपुल गोयल को शायद पसंद न आए यह खबर

पर्यावरण मंत्री विपुल गोयल को शायद पसंद न आए यह खबर
environment minister vipul goel

Yashvi Goyal
Faridabad। हरियाणा (Haryana) के लोग दूध दही का खाणा न करें तो यह वायु प्रदूषण (air pollution) उनका जीना मुहाल ही कर डाले। हालात यह हैं कि नई खोज ने बताया है कि प्रदूषण के कारण हरियाणा के लोगों की उम्र तेजी से घट रही है लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई बड़े प्रयास नजर नहीं आए हैं। कुछ समय पहले विश्व के दूसरे सबसे प्रदूषित शहर का तमगा और अब प्रदूषण के कारण हरियाणा के लोगों की उम्र घटने की खबर निश्चित तौर पर राज्य सरकार खासकर पर्यावरण मंत्री विपुल गोयल (environment minister vipul goel) को पसंद नहीं आएगी।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि वर्ष 2017 में भारत में वायु प्रदूषण के कारण करीब 12.4 लाख लोगों की मौत हुई है। इसी अध्ययन में यह भी कहा गया है कि हवा के अत्यंत सूक्ष्म कणों-पीएम 2.5 के सबसे ज्यादा संपर्क में दिल्लीवासी आते हैं। उसके बाद उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा का नंबर आता है। अध्ययन में बताया गया है कि प्रदूषण के कारण हरियाणा में रह रहे लोगों की जीवन रेखा दो साल एक महीना छोटी हो गई है। हरियाणा के पर्यावरण का दारोमदार संभाल रहे प्रदेश के पर्यावरण मंत्री विपुल गोयल की ओर से वायु प्रदूषण को कम करने के लिए अब तक कोई ठोस योजना नजर नहीं आ सकी है।  जबकि पिछले दिनों पर्यावरण मंत्री विपुल गोयल का गृह जिला फरीदाबाद दुनिया भर के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार रह चुका है। उसके बाद भी शायद पर्यावरण मंत्री विपुल गोयल कुंभकर्ण की नींद सोए हुए हैं। वहीं हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि वायु प्रदूषण के मामले में हरियाणा प्रदेश तीसरे नंबर पर है। देखना दिलचस्प होगा कि हरियाणा के पर्यावरण मंत्री विपुल गोयल कब पर्यावरण की ओर ध्यान देंगे।
पिछले साल वायु प्रदूषण के कारण पूरे देश में जिन 12.4 लाख लोगों की मौत हुई थी उनमें आधे से अधिक की उम्र 70 से कम थी। इसमें कहा गया कि भारत की 77 प्रतिशत आबादी घर के बाहर के वायु प्रदूषण के उस स्तर के संपर्क में आई जो नेशनल एंबियंट एअर क्वालिटी स्टैंडड्र्स (एनएएक्यूएस) की सुरक्षित सीमा से ऊपर था।
वायु प्रदूषण अब केवल श्वसन संबंधी बीमारियों के लिए ही जिम्मेदार नहीं है बल्कि फेफड़ों की बीमारियां, न्यूमोनिया और फेफड़ों के कैंसर के लिए भी बड़ा रिस्क फैक्टर बनता जा रहा है। स्टडी के अनुसार, लोअर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन तंबाकू से ज्यादा वायु प्रदूषण से हो रहा है। जबकि, प्रति एक लाख लोगों में 49 लोगों को फेफड़ों के कैंसर की वजह वायु प्रदूषण है, तो 62 लोगों में इसकी वजह तंबाकू है।

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