हा हा हा आज मैं ये कैलाश पर्वत उठाकर ले जाऊंगा….

हा हा हा आज मैं ये कैलाश पर्वत उठाकर ले जाऊंगा….
shri shraddha ramlila,
रावण को चंद्रहास तलवार देते हुए भगवान शंकर।

-श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी की ओर से रामलीला मंचन की हुई शुरूआत
Yashvi Goyal
फरीदाबाद। हा हा हा आज मैं ये कैलाश पर्वत उठाकर ले जाऊंगा। तुम्हें नींद से उठा कर ही रहूंगा। पर्वत को उठाने में नाकाम रावण थक कर बैठ गया। रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर आंख खोलकर बोलते हैं…हे बालक उठो बताओ तुम्हें क्या चाहिए। शंकर जी को चंद्रहास नामक तलवार भेंट करते हैं। कहते हैं जब तक यह तेरे पास रहेगी, नहीं तो यह तलवार गायब हो जाएगी। सेक्टर-15 स्थित श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी की ओर से आयोजित रामलीला मंचन की शुरूआत हो चुकी है। कलाकारों के अभिनय से हॉल में तालियां गुंजती रही। वहीं अगले दृश्य में श्रवण कुमार अपने अंधे माता-पिता को तीर्थ पर लेकर जाता है। जंगल में अंधराज कहने लगते हैं, बेटा प्यास से हमारा गला सुख रहा है। तु हमें पानी पिला दें। यह सुनकर श्रवण कुमार पास ही नदी से पानी लेने चला जाता है। जहां राजा दशरथ पानी की आवाज सुनकर श्रवण कुमार को जानवर समझ उस पर शब्द भेदी वाण चला देते हैं।
बाण लगते ही श्रवण कुमार जमीन पर गिर जाता है और पीड़ा से चिल्लाने लगता है। दशरथ आवाज सुन श्रवण कुमार के पास जाकर कहते हैं। हे भगवान…मुझसे ये क्या पाप हो गया।
प्यास का कटोरा मैंने बेदर्दी से फोड़ा है। हाय अंधों की लाठी को उन्हीं से छीन तोड़ा है। मेरे भगवान मुझ पापी पे सौ-सौ बार लानत है। बाहू बल पर धनुष पर बाण पर फटकार लानत है।
यह सुनकर श्रवण बोलता है, अयोध्या नरेश दशरथ मेरा प्रणाम स्वीकार हो।
दशरथ: होनहार श्रवण होनहार। वनचर समझ कर बाण मार दिया जो न टलने वाले काल ने तेरे कलेजे में उतार दिया श्रवण मैं निर्दोष हूं, बिल्कुल निर्दोष।
श्रवण: निसंदेह दशरथ….जरा रोके से रूक सकती है जब शमशीर आती है। गिरे पर्वत से बचना हो तो कोई तदबीर आती है। मगर जब मौत के मुंह रोबरो तस्वीर आती है। नहीं रोके से रूक सकती कि जब तकदीर आती है। तुम जाकर मेरे माता-पिता को यह पानी पिला उनकी प्यास शांत कर देना और श्रवण अपने प्राण त्याग देता है। वहीं तीसरे दृश्य में रावण और वेदवती का संवाद होता है। भगवान शंकर की भूमिका में रितेश कुमार, रावण की भूमिका में श्रवण कुमार, राजा दशरथ की भूमिका में अजय खरबंदा, वेदवती की भूमिका में योगांधा वशिष्ठ नजर आई।

फोटो एक-रावण को चंद्रहास तलवार देते हुए भगवान शंकर।
फोटो दो-नदी के किनारे घायल अवस्था में श्रवण कुमार और दशरथ का संवाद।

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