गीता जयंती के अवसर पर सिद्धदाता आश्रम में व्याख्यान

गीता जयंती के अवसर पर सिद्धदाता आश्रम में व्याख्यान
shri sidhdata ashram
श्री सिद्धदाता आश्रम में सेवादारों को गीता एवं सेवा के महत्व के बारे में बताते श्रीमद् जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज।

-श्रीमद् जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने छात्रों को प्रदान की श्रीमद् भगवद्गीता की प्रतियां
todaybhaskar.com
faridabad| सेक्टर 44 सूरजकुंड रोड स्थित श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम श्री सिद्धदाता आश्रम में गीता जयंती के उपलक्ष्य में गीता पर आख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर श्रीमद् जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने छात्रों को श्रीमद् भगवद्गीता की प्रतियां प्रदान की। उन्होंने हजारों की संख्या में जुटे सेवादारों को भी जीवन में भगवान कृष्ण के संदेश को स्वीकारने की शिक्षा दी और उन्हें सेवा का महत्व समझाया।
श्री सिद्धदाता आश्रम परिसर में संचालित स्वामी सुदर्शनाचार्य संस्कृत वेद वेदांग विद्यालय एवं महाविद्यालय के छात्रों, शिक्षकों एवं प्राचार्य का गीता पर एक आख्यान आयोजित किया गया। इस अवसर पर अनंत श्री विभूषित इंद्रप्रस्थ एवं हरियाणा पीठाधीश्वर श्रीमद् जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने कहा कि भगवान कृष्ण ने शरणागति को परम बताया। उन्होंने कहा कि जब भक्त भगवान की शरण आ जाता है तो उसके कुशलक्षेम भगवान स्वयं देखते हैं।
उन्होंने कहा कि भक्त और मोक्ष का आधार शरणागति है। उन्होंने सभी छात्रों को गीता की प्रतियां एवं प्रसाद प्रदान करते हुए कहा कि इसके संदेश को जीवन में उतारें। प्राचार्य गुंजेश्वर चौधरी ने कहा कि गीता अर्जुन को माध्यम बनाकर आम जनमानस को दिया भगवान का संदेश है। वहीं छात्रों ने गीता के अध्यायों का मूल संस्कृत पाठ किया।
वहीं सेवादारों के कार्यक्रम में भी श्रीमद् जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने संदेश दिया कि वह लोग मन से सेवा करते हैं लेकिन छोटी छोटी किंतु परंतु से उनके जीवन में वो बदलाव नहीं आ पा रहे हैं जिसकी उन्हें आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समर्पण के बिना सेवा पूरी नहीं होती है। समर्पण यानि शरणागति को भगवान कृष्ण ने सर्वोपरि बताया है। शरणागत होने के बाद भक्त की लौकिक योग्यताएं गौण हो जाती हैं, इसलिए गुरु दर पर सेवा करने वाले समर्पित होकर और परस्पर सहयोग से एकनिष्ठ होकर सेवा करें। उन्होंने हजारों की संख्या में जुटे भक्तों को प्रसाद और आशीर्वाद प्रदान किया।

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