चुनावों के समय नेताओं के एक एक शब्द को, उनकी हरकत को मतदाता और कार्यकर्ता बड़े ध्यान से सुनता, देखता है। आज एनआईटी तीन के एफ ब्लॉक में भाजपा उम्मीदवार कृष्णपाल गुर्जर का चाय पर चर्चा कार्यक्रम था।
यहां गुर्जर के स्वागत क्रम में शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा ने भाजपा कार्यकर्ता राधेश्याम भाटिया का परिचय करवाया कि यह हमारे पूर्व मंडल अध्यक्ष हैं और भविष्य के जिलाध्यक्ष हैं। सीमा त्रिखा यह कहकर तेज तेज खिलखिलाकर हंसीं और भाटिया से बोलीं कि मैंने आज तुम्हारी घोषणा करवा दी है।
बराबर में ही माइक संभाल रहे जिलाध्यक्ष राजकुमार वोहरा ने कहा-
यह हमारी बहन का प्यार है। एक भाई की अध्यक्षी गई नहीं, दूसरा खड़ा कर दिया। यह है घर-घर की कहानी।
शायद वोहरा चुप रहेंगे, लेकिन कार्यकर्ताओं में बड़ी चर्चा हुई कि मंत्री मैडम को ऐसा सार्वजनिक रूप से नहीं कहना चाहिए था। यह भाजपा है, कोई रोटरी क्लब नहीं है। जहां भविष्य के अध्यक्ष की घोषणा एक साल पहले ही कर दी जाती है। वर्तमान अध्यक्ष को पहले ही पता होता है कि अगली सीट किसके पास होगी।
वैसे, भाजपा का संविधान भी लगातार दो बार अध्यक्ष रहने की इजाजत देता है। वोहरा से पहले जिलाध्यक्ष गोपाल शर्मा तीन तीन साल के दो कार्यकाल पूरे करने के बाद दो साल के विस्तार में भी रहे हैं। यानि करीब आठ साल अध्यक्ष रहे हैं। उनसे पहले वर्तमान में फरीदाबाद लोकसभा संयोजक अजय गौड भी दो कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। गौरतलब है कि राजकुमार वोहरा के जिलाध्यक्ष की घोषणा तीन जनवरी 2024 को हुई थी। आज 13 अप्रैल 2024 यानि तीन महीने 10 दिन में घटित यह घटनाक्रम क्या संकेत देता है।
कार्यकर्ताओं का स्पष्ट मत था कि भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है। जहां पर इस प्रकार खुले मंच से पदों की घोषणा की परंपरा नहीं रही है। कार्यकर्ताओं में चर्चा थी कि शायद हमारी शिक्षा मंत्री को जिलाध्यक्ष पसंद नहीं है। जिस कारण उन्होंने अनजाने में ही सही लेकिन लगता है कि मैडम ने नए जिलाध्यक्ष की घोषणा कर खुद को पार्टी के संविधान से ऊपर मान लिया है।
शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा द्वारा (केंद्रीय राज्यमंत्री) भाजपा उम्मीदवार कृष्णपाल गुर्जर की मौजूदगी में नए जिलाध्यक्ष के नाम की खुले मंच से घोषणा कर खिलिखिलाना क्या संकेत देता है (वीडियो अटैच है)। कृपया अपने विचार कमेंट कर बताएं।
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