पेट्रोलियम मंत्रालय जासूसी मामले में किसी को बख्शा नहीं जाएगा : गृहमंत्री

पेट्रोलियम मंत्रालय जासूसी मामले में किसी को बख्शा नहीं जाएगा : गृहमंत्री
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टुडे भास्कर डॉट कॉम
पेट्रोलियम मंत्रालय जासूसी मामले में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी भी दोषी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और उन्हें कठोरतम सजा दी जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस जांच कर रही है, दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।
पेट्रोलियम मंत्रालय में नीतिगत फैसलों से जुड़े दस्तावेज़ों के लीक होने के मामले में दर्ज एफआईआर की कॉपी मिली है, जिससे पता चला है कि मासिक गैस रिपोर्ट भी लीक हुई, जिस पर 16 फरवरी 2015 की तारीख पड़ी है। जो कागज़ लीक हुए हैं, उनमें वित्तमंत्री के बजट भाषण का इनपुट भी शामिल हैं।
पेट्रोलियम मंत्रालय जासूसी कांड में गिरफ्तार किए गए और सात लोगों में शीर्ष ऊर्जा कंपनियों के पांच वरिष्ठ अधिकारी और दो परामर्शदाता शामिल हैं। इस मामले का कल भंडाफोड़ होने के बाद कुल गिरफ्तारियों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है।
संयुक्त पुलिस आयुक्त :अपराध: रविंद्र यादव ने रात बताया, ‘हमने पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। आरआईएल के शैलेश सक्सेना, एस्सार के विनय कुमार, केर्न्‍स के केके नाइक, जुबिलियंट एनर्जी के सुभाष चंद्रा और एडीएजी रिलायंस के रिषी आनंद शामिल हैं।’’ ये गिरफ्तारियां शुक्रवार शाम के वक्त की गई।
मंत्रालयों से दस्तावेज लीक होने का मामला अब सिर्फ पेट्रोलियम मंत्रालय तक ही नहीं सिमटा है, हाल यह है कि पहली बार बजट भाषण के भी कुछ हिस्से और गैस रिपोर्ट भी लीक हो गई। एनडीटीवी को मिली जानकारी के मुताबिक, दो लोग इस खेल के मास्टर माइंड थे, जिनके इशारे पर सारे काम होते।
इनके नाम हैं शांतनु सैकिया और प्रयास जैन,  जबकि बाकी के तीन लोग काम को अंजाम देते थे। इनके नाम राजकुमार, ललिता और राजेश हैं। प्रयास जैन एक कंसलटेंसी फर्म का मालिक है, जिसके पास से तीन ब्लैक बुक बरामद की गई हैं। उसके पास से उन अधिकारियों के नंबर भी मिले हैं, जिनके साथ वह संपर्क था। पर सवाल है कि
दस्तावेज हासिल कैसे होते थे?
दरअसल, गिरफ्तार आशाराम के दो बेटे फर्जी आईडी की मदद से पेट्रोलियम मंत्रालय में दाखिल होते थे। खुद को पत्रकार बताने वाले राकेश से कई फर्जी आईडी मिली हैं। तीसरा शख्स खुद को ड्राइवर बताता था और उसके पास सफेद रंग की इंडिगो है और गाड़ी पर फर्जी तरीके से गवर्नमेंट ऑफ इंडिया लिखा था।

कैसे करते थे काम –
कार साढ़े सात बजे मंत्रालय में दाखिल होती थी
ड्राइवर गाड़ी में इंतज़ार करता रहता था
दोनों आरोपी पूरे फ्लोर की सीसीटीवी कैमरे बंद कर देते थे और रात 11 बजे वापस लौटते थे
बाहर निकलते वक्त उनसे कोई सवाल नहीं पूछता था।
फिलहाल कोर्ट मे पेशी के बाद चार आरोपियों को 23 फरवरी तक की पुलिस कस्टडी और बाकी के तीन आरोपियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

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