देश एवं संस्कृति सिखा रही गढ़वाल सभा

देश एवं संस्कृति सिखा रही गढ़वाल सभा
rakesh ghildiyal
गढवाल सभा के प्रेजिडेंट व बीएन पब्लिक स्कूल के चैयरमेन राकेश घिल्ड़ियाल

-गढवाल सभा के प्रेजिडेंट व बीएन पब्लिक स्कूल के चैयरमेन राकेश घिल्ड़ियाल ने टुडे भास्कर से साझा किए चिार
यशवी गोयल
फरीदाबाद। भारत देश की संस्कृति बचाने व शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 1983 में एनआईटी दो नंबर में बीएन पब्लिक स्कूल व 1985 में गढवाल सभा को स्थापित किया गया। आज गढ़वाल सभा विभिन्न प्रोजेक्टों के माध्यम से युवाओं को देश की संस्कृति का पाठ पढ़ा रही है साथ ही स्कूल में पांच हजार से अधिक बच्चें शिक्षित होकर समाज में उजियारा फैला रहे हैं।
टुडे भास्कर ने गढवाल सभा के प्रेजिडेंट व बीएन पबिलक स्कूल के चेयरेन राकेश घिल्डियाल से मिलकर भिन्न पहलुओं पर जानकारी प्राप्त की।
राकेश घिल्ड़ियाल ने बताया कि वह गढ़वाल सभा से दस साल से जुडे हुए है और पिछले ढाई साल से सभा के प्रेजिडेंट के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि भारत की संस्कृति लुप्त होती जा रही थी और युवा भी अपनी संस्कृति से पिछड़ रहे थे। तभी संस्कृति को बचाने के उद्देश्य से सभा की स्थापना की। गढवाल सभा के द्वारा अनेक प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करवाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि शिक्षा को बढ़ावा देना भी हमारा एक प्रमुख उद्देश्य था जिसको लेकर 1983 में  एनआईटी दो नंबर में बीएन पब्लिक स्कूल को स्थापित किया। आज बीएन पब्लिक स्कूल की सात ब्रांच हैं। जहां 5000 से अधिक बच्चे शिक्षित होकर समाज में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि बीएन पब्लिक स्कूल जरूरतमंद बच्चों को फ्री शिक्षा भी देता है। उन्होंने बताया कि गढवाल सभा केवल गढवालियों के लिए नही बल्कि पूरे समाज के लिए काम करती है। गढवाल सभा के द्वारा लोगों को दो एम्बुलेंस सेवाएं देती हैं। जिसके द्वारा एमरजेंसी में लोगों को अस्पताल पहुंचाया जाता है। वहीं नारी उत्थान के लिए भी गढवाल सभा ने पहल कर जगह-जगह सिलाई सेंटर खोले हुए हैं, जहां महिलाओं को निशुल्क सिलाई प्रशिक्षण दिया जाता है।
राकेश घिल्ढियाल ने टुडे भास्कर के माध्यम से सरकार से मांग की कि उन्हें एक सामुदायिक सेन्टर दिया जाए, जहां लोग शादी ब्याह जसे कार्यक्रम कर सकें। उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि युवा ही हमारे देश की संस्कृति को बनाए रख सकते हैं। इसलिए युवाओं को चाहिए कि वह ज्यादा से ज्यादा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जाएं और उस संस्कृति को अपने अंदर बसाएं। तभी यह समाज सुरक्षित रह सकेगा।

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