पोर्टेबल शौचालयों के नाम पर हो रहा घोटाला

पोर्टेबल शौचालयों के नाम पर हो रहा घोटाला
nagar nigam manmohan garg,

– डिप्टी मेयर मनमोहन गर्ग ने अतिरिक्त आयुक्त समीरपाल सरो को लिखा पत्र
-शौचालयों की नियमित रूप से नहीं हो रही सफाई
Yashvi Goyal
faridabad|   नगर-निगम की ओर से शहर में लगाए गए पोर्टेबल शौचालयों के नाम पर घोटाला सामने आया है। इसको लेकर डिप्टी मेयर मनमोहन गर्ग ने अतिरिक्त आयुक्त समीरपाल सरो के नाम पत्र लिख इन शौचालयों का ठेका रद्द कराने की मांग की है। डिप्टी मेयर ने पत्र में लिखा कि शहर भर में लगाए गए इन टॉयलेट की एक यूनिट पर हर माह 4500 रुपये खर्च किए जा रहे हैं लेकिन इन टॉयलेट पर न तो पानी की सुविधा है और न ही इन्हें साफ ही किया जाता है। निगम के अफसरों को यह बात पता होने के बाद भी कंपनी को हर बार ठेका मंजूर कर दिया जाता है। इन शौचालयों की खास बात यह है कि इनमें से अधिकतर पर ताला जड़ा हुआ है, बावजूद इसके नगर निगम अधिकारी बिना जांच पड़ताल भुगतान कर रहे हैं। शौचालयों के नाम पर प्रतिमाह १५ लाख रुपये बर्बाद किए जाने की बात सामने आने पर उप महापौर मनमोहन गर्ग ने निगमा आयुक्त समीर पाल सरो को चिट्टी लिख कर ठेका तत्काल रद्द करने और ठेकेदार को बकाया धनराशि का भुगतान नहीं किए जाने के निर्देश जारी किए हैं।

स्वच्छ भारत अभियान के तहत लगाया गया था इन शौचालयों को
स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर को खुले में शौच मुक्त करने के लिए करीब डेढ़ साल पहले जगह-जगह इन शौचालयों को लगाया गया था। नगर निगम अधिकारियों ने आनन फानन फाइबर रीइनफोस्र्ड प्लास्टिक (एफआरपी) के पोर्टेबल शौचालय स्थापित करने का ठेका जारी किया था। शहर में विभिन्न जगहों पर ३३० एफआरपी पोर्टेबल शौचालय लगाए गए।

नहीं होता रखरखाब
इन शौचालयों को जरूरत के अनुसार जगह-जगह लगा तो दिया गया है लेकिन समय पर इन शौचालयों की सफाई नहीं होती। शौचालयों पर पानी न होने के कारण लोगों को लोटा भरकर अपने घर से लेकर जाना पड़ता है। शौचालय की प्रतिदिन सफाई, रखरखाव, पानी की आपूर्ति आदि के लिए ठेकेदार को नगर निगम की ओर से ४५०० रुपये चुकाए जाते हैं। बाजार में एफआरपी शौचालय २३००० से २५००० रुपये कीमत के आते हैं। शौचालयों के नाम पर नगर निगम के खजाने को नुकसान पहुुंचाए जाने और इनका दुरुपयोग करने की शिकायतें आ रही थीं।
शिकायतों पर उपमहापौर मनमोहन गर्ग ने शहर में विभिन्न जगह रखवाए गए लाल एफआरपी टॉयलेट्स की जांच की। उनके मुताबिक अधिकतर शौचालयों पर ताला लगा हुआ पाया गया। यानी इन शौचालयों का लाभ आम जनता को नहीं मिल पा रहा है। मनमोहन गर्ग कहते हैं कि स्वास्थ्य अधिकारी ने खुद उनसे बताया कि ठेकेदार का कार्य संतोषजनक नहीं है। यह ठेका अगस्त २०१७ में समाप्त हो गया था बावजूद इसके ठेका अवधि बढ़ा दी गई। निगम अधिकारियों ने उन्हें जानकारी दी कि ठेकेदार को नवंबर २०१७ तक ४५०० रुपये की दर से ३३० शौचालयों का भुगतान भी किया जा चुका है। करीब सौ डेढ़ सौ करोड़ रुपये कर्ज में डूबे नगर निगम में स्वच्छता के नाम पर प्रति माह १५ लाख रुपये भुगतान किए जाने को उन्होंने जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग करार दिया। उन्होंने नगर निगम आयुक्त समीर पाल सरो को चिट्टी लिखकर ठेका तत्काल रद्द करने और बकाया भुगतान रोकने के निर्देश दिए हैं।

LEAVE A REPLY