तो अब मैं इस रावण का क्या करू….

तो अब मैं इस रावण का क्या करू….
ravan in faridabad

Todaybhaskar.com
Faridabad|  शहर में रावण दहन को लेकर राजनीति खत्म होने का नाम नहीं ले रही है| राजनितिक दवाब के कारण जिस तरह प्रशसान ने सिद्ध पीठ श्री हनुमान मंदिर पर दवाब बनाते हुए दशहरे पर्व को अपने हाथो में जो लेने का निर्णय किया वह  एक निन्दनीय कार्य था। शहर में  चर्चा जोरो पर है कि प्रशासन ने आनन-फानन मैं जिस तरह रावण दहन किया है उसका क्या औचित्य था.दशहरे पर प्रशासन पर राजनीति इतनी हावी हो चुकी थी की उन्होंने यह सुध भी  नहीं ली की जिन पुतलों का दहन करना था वह पुतले आज भी सिद्ध पीठ हनुमान मंदिर में आज भी रखे हैं जबकि एसडीएम अजय चोपड़ा  ने खुद मंदिर में आकर महंत स्वरुप बिहारी शरण का अनशन तुड़वाया था। तो उन्होंने पूर्व विधायक चन्दर भाटियाव अन्य संस्था के पदाधिकारी को  आश्वाशन दिया था कि वह ट्राले मंगवाकर इन रावण को दशहरा मैदान ले जायँगे जहा इनका दहन किया जायेगा । लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रावण के पुतले  आज भी मंदिर प्रागण में पड़े हुए है।
इस विषय पर जब मंदिर के प्रधान राजेश भाटिया से बातचीत के दौरान पता चला की उन्होंने इस पर्व के किये लाखो रूपये  लगाए थे जो आज वह रुपए ख़राब हो चुके है। यह पैसा मंदिर व लोगो की महनत का पैसा था। आज बन्नूवाल बिरादरी यह सवाल उठा रही है की अब यह रावण कौन जलाएगा। उन्होंने बताया की जो अब तक खर्च हुआ उसका ब्यौरा इस प्रकार है। रावण बनाने का खर्च 2 लाख ,लंका का 60 हजार ,आतिशबाजी का 75 हजार ,5 बैंड 60 हजार ,कार्ड का खर्च 90 हजार ,बैरेकेटिंग का 1 लाख 50 हजार , झंडो का खर्च 1 लाख 20 हजार ,टेंट  1 लाख 20 हजार सजावट , साउंड तीन दिन का खर्च 70 हजार , लाईटिंग का 60 हजार , स्वरूपों का सामान 40 हजार ,मथुरा की झांकी  55 हजार ,ट्रालों की झांकी का ८० हजार ,शहनाई का 15 हजार ,ढोल ,ताशे ,नगाड़े का 1 लाख 40 हजार , पगड़ी ,पटके ,शील्ड का खर्च 1 लाख 60 हजार , 2  हजार दर्जन  केले का 1 लाख ,जरनेटर का 25 हजार ,बग्गी का 51 हजार ,फोटोग्राफर का 30  हज़ार ,प्रशाद का 10 हजार ,लंगर का 50  हजार , चैनल पर लाइव के लिए 25 हजार ,  मंदिर  सजावट का 50  हजार  जो अब तक खर्च हो चूका है।
इस पर जनता राम लीला के प्रधान मानक चन्द भाटिया ने कहाकि  फरीदाबाद के लोगो के लिए बड़े दुःख का विषय है की पहली बार ऐसा हुआ कि लंका का दहन का आयोजन नहीं हुआ। उन्होंने कहाकि एसडीएम अजय चोपड़ा खुद मंदिर में आकर यह आश्वाशन देकर गए थे कि वह ट्राले में रावण के पुतले लेकर  मैदान जायेंगे और उनका दहन किया जाएगा।

एसडीएम अजय चोपड़ा  ने संस्था के लोगो को अनशन तुड़वाने के नाम पर धोखा दिया है। शयद ऐसी घटना पहले कभी देश में कभी घटी हो कि रावण का दहन न हुआ हो।  मानक चन्द भाटिया ने कहाकि तीन वर्षो से विधायक सीमा त्रिखा व मंत्री कृष्ण पाल गुजर ने जो राजनीती करके लोगो का दशहरा ख़राब किया यह उन्होंने जनता के साथ अच्छा नहीं किया। उन्होंने  कहाकि इस मामले के चलते वर्दीधारियों ने दशहरे में कोई भी कैंप का आयोजन भी नहीं किया।

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