श्री श्री रविशंकर के प्रोग्राम से खासा प्रभावित यमुना रक्षक दल

श्री श्री रविशंकर के प्रोग्राम से खासा प्रभावित यमुना रक्षक दल
dr rn singh
विशव सांस्कृतिक महोत्स्व में डॉ आर एन सिंह

todaybhaskar.com
faridabad। भव्य, विहंगम, अपरिकल्पनीय, अतुल्यनीय, अविस्मरणीय, अत्यन्त सुव्यवस्थित तथा अवर्णनीय – अध्यात्मिक विश्व का भारत-भूमि पर अवतरण का साक्षात् दर्शन निश्चित हीं श्री श्री रविशंकर जी महाराज के प्रति हमें ऋणी बना दिया है। परम संत आचार्य प्रवर स्वामी ए एस विज्ञानाचार्य जी महाराज के असीम कृपा से परम संत जय कृष्ण दास जी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, यमुना रक्षक दल के साथ इस अद्भुत आयोजन का हिस्सा बनने का सुअवसर प्राप्त हुआ | अपने लगभग तीन – साढ़े तीन घंटो के अवलोकन, देश विदेश से आए महान संतों के सुविचारों तथा अन्यान्य प्रबुद्ध श्रेष्ठ महानुभावों से वार्तालाप से अनुभव हुआ कि यह भारत के लिए शुभ लक्षण है, वैश्विक अध्यात्मिक एकीकरण के पथप्रदर्शक श्री श्री रविशंकर जी महाराज ने बड़े हीं सौम्यता तथा सहजता से सफल एवं सार्थक कदम उठाकर यह सिद्ध कर दिया है कि आधुनिक असुरी शक्तियां वैश्विक अध्यात्मिक एकीकरण के मार्ग में बाधा नहीं बन सकतीं  ………
हाँ यह अटल सत्य है कि यमुना जी सिर्फ नदी नहीं अपितु सम्पूर्ण प्राणीमात्र के लिए प्रकृति द्वारा प्रदत अमृत जल संचित जीवन प्रदायनीतथा प्रत्येक भारतीय के आस्था और विश्वास की अनमोल धरोहर हैं |इनके साथ छेड़छाड़ तथा औधोगिक, व्यवसायिक, कृषि तथा घरेलू प्रदूषकों का इनमें बेखौफ तथा अनवरत् बहाव न सिर्फ् इनके अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर रहा है बल्कि जलीय जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों यहाँ तक कि हम मनुष्यों को भी अपने अस्तित्व के लिए खतरा नजर आने लगा है |यमुनाजी को जितना प्रदूषित कालिया नाग ने नहीं किया था उससे अधिक जहरीली अब बन गईं हैं | इनके किनारे बसे लोग रोग मुक्त, सुखी एवं संपन्न हुआ करते थे, आज असाध्य बीमारियों से ग्रसित होकर यातना की जिन्दगी जी रहे हैं | जिनके जल को किसी भी चीज में मात्र दो बूंद डालने से स्वच्छ तथा पवित्र हो जाता था उसी जल को आज लोग छूने से भी डरने लगे हैं |
माननीय राष्ट्रपति महोदय, प्रधानमंत्री महोदय, सर्वोच्च न्यायालय, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण तथा अन्य निष्पक्ष सरकारी एवं गैर सरकारी संगठन न्यायसंगत तरीकों से विचार करें कि
1. क्या यमुना माँ अपने नैसर्गिक पथ से बह रही हैं ?
2. यदि हाँ, तो कितने प्रतिशत जल के साथ ?
3.नहीं, तो किन कारणों से ?
4. यमुना माँ अपने नैसर्गिक पथ से अपर्याप्त जल के साथ जीवन की अंतिम सांसे गिन रही हैं, आज वायु तत्व, जल तत्व, पृथ्वी तत्व तथा आकाश तत्व अत्यन्त विषाक्त हो चुके हैं, अग्नि तत्व की प्रचंडता “वैश्विक उष्णता” की समस्या को विकराल किए जा रहा है | पंचतत्वों के सम्यक संतुलन पर हीं सृष्टि का अस्तित्व टिका हुआ है, आएं निःस्वार्थ भाव से कारणों का पता लगायें तथा निवारण हेतु सतत, सम्यक तथा सार्थक कदम उठाएँ |
यमुना को राजनीति का मामला न बनाकर जनहित हेतु इन्हें निर्मल तथा अविरल बनाने के लिए त्वरित, सार्थक, समग्र एवं ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है |

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