मोती और शिप्पी का प्रयोग कर बने कलाकार

मोती और शिप्पी का प्रयोग कर बने कलाकार
surajkund mela,

टुडे भास्कर डॉट कॉम
फरीदाबाद। कला और कलाकार की सोच की कोई सीमा नहीं होती, जहां तक जाए उतनी ही कम होती प्रतीत होती है। ऐसे ही नायाब नमूने आपको इस बार 29वें सूरजकुण्उ अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले में दिखाई देंगें। असली मोती और जो मोती जिस शिप्पी में तैयार किया जाता है उसकी जोडतोड की कहानी बयां करता स्टाल नंबर 412 में दिखाई देगा।
मेले में स्टाल नंबर 412 के संचालक अमल का कहना है कि वे बंगाल के दीघावीज के रहने वाले हैं और मोती और शिप्पी सै तैयार चीजों को बनाने का कार्य उनका पुश्तैनी कार्य है। फिर भी वे इस कार्य से पिछले 15 सालों से जुडे हुए हैं और इस कार्य में उन्हें काफी आंनद की अनुभूति होती है। उन्होंने मोती को तैयार करने के विधि के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वे शिप्पी में इंजेकशन देतें और कुछ दिन के बाद मोती तैयार हो जाता है। इस प्रकार से असली मोती तैयार किया जाता है।
उनका कहना है कि शिप्पी से तैयार चीजों में शिप्पी को हाथ से काट-काट कर तैयार किया जाता है और जोडा जाता है और इन सब वस्तुओं को तैयार करने में एक दिन से 15 दिन का समय लग जाता है। उनके इस स्टाल में 100 रुपए से लेकर १५००० रुपए तक की वस्तुओं को दर्शाया गया है, जिनमें कार रिंग, नैकलेस, चम्मच, बाऊल, शाप डिश, पोस्टर, टिशू बाकस, एसट्रे, चूडियां, बे्रसलेट और विभिन्न प्रकार की ज्वैलरी  भी रखी गई है।
स्टेट आवार्डी अमल ने बताया कि अब तक लगभग 80000 रुपए की वे बिक्री कर चुके हैं और इस मेले में वे लगातार पिछले दस सालों से आ रहे हैं। सूरजकुण्ड मेला काफी अच्छा है और यहां का मौसम भी काफी अच्छा है। इस मेले में ज्यादातर उपभोकता महिलाएं, युवाओं के साथ-साथ अन्य भी आ रहे हैं। असली मोती की ज्वैलरी उनके इस स्टाल में उपलबध है और विभिन्न किस्म की कारीगरी से परिपूर्ण है।

LEAVE A REPLY