फरीदाबाद की वैश्विक बदनामी के दाग ट्विटर से धो रहे हरियाणा के पर्यावरण मंत्री

फरीदाबाद की वैश्विक बदनामी के दाग ट्विटर से धो रहे हरियाणा के...
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-मंत्री ने ट्विटर के बहाने लगाया किसानों पर निशाना
ट्विटर पर जारी किया पराली न जलाने का फरमान, लोग उड़ा रहे मजाक
Todaybhaskar.com
Faridabad। औद्योगिक नगरी में बढ़ते प्रदूषण को हरियाणा के पर्यावरण मंत्री विपुल गोयल ट्विटर के जरिए कम करने में जुट गए हैं। शहर में लगातार पीएम 2.5 का स्तर बढ़ता जा रहा है और मंत्री जी ट्विटर के जरिए पराली न जलाने की अपील कर रहे हैं। मजे की बात यह है कि इस वर्ष फरीदाबाद में पराली जलाने का एक भी मामला प्रकाश में नहीं आया है। लोग मंत्री जी का मजाक उड़ा रहे हैं।
फरीदाबाद में प्रदूषण के हालात यह हैं कि यदि समय रहते कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई तो शहर के लोगों के फेफड़े तक खराब होने की आशंका है। लेकिन शहर में बैठे पर्यावरण मंत्री ट्विटर तक ही सीमित हैं। हरियाणा के पर्यावरण मंत्री विपुल गोयल ने टवीट्र हेंडल पर टवीट करते हुए लिखा कि (आज हमारे लिए बढ़ता प्रदूषण एक बहुत बड़ी चुनौती है, जिसका एक प्रमुख कारण पराली जलाना भी है।) हमारा सवाल है कि यदि पराली जलाना इसका बड़ा कारण है तो क्या समय रहते पर्यावरण मंत्री को इसके लिए कोई योजना तैयार नहीं करनी चाहिए थी।

#इस वर्ष पराली जलाने का एक भी मामला नहीं
पर्यावरण मंत्री के ट्विट की पोल खुद सरकार के आंकड़े खोलते हैं। शहर फरीदाबाद की बदनामी का दाग पराली के बहाने से किसानों के सिर लगाने की कोशिश की जा रही है। जो कि पूरी तरह से गलत है। इस वर्ष फरीदाबाद में पराली जलाने का एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया है। सरकारी मशीनरी हरसेक को दो शिकायतें प्राप्त हुईं वो भी कूड़ा जलने की पाई गईं।

#किसानों को बदनाम न करें मंत्री जी
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं प्रगतिशील किसान मंच के अध्यक्ष सत्यवीर डागर का कहना है कि मंत्री जी अपनी नाकामियों को किसानों के माथे पर न लगाएं। शहर में कृषि योग्य भूमि का रकबा घटा ही है। यहां प्रदूषण किसानों की पराली से नहीं फैल रहा है। डागर का कहना है कि शहर फरीदाबाद में किसी भी निर्माण कार्य और उद्योगों में मंत्रीजी की नाक तले नियमों को धता बताया जा रहा है। मेरी मंत्रीजी से अपील है कि कृपया किसानों को बदनाम न करें और अपने काम करने के तरीके सुधारें।
बताते चलें कि पिछले दिनों डब्लयूएचओ की ओर से रिपोर्ट जारी हुई थी जिसमें शहर का नाम दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में दूसरे नंबर पर था। पूरी दुनिया में औद्योगिक नगरी का नाम खराब करके भी अब तक कोई ऐसी योजना नहीं बनाई गई है कि शहर का प्रदूषण कम किया जा सके। बुधवार दोपहर 12 बजे के करीब पीएम 2.5 का स्तर 398 दर्ज किया गया। जबकि यह स्तर शाम होते-होते 400 के पार पहुंच जाता है। जिसका मतलब है कि यदि ऐसी विषैली हवा में सांस लिया तो फेफड़ों में इंफेक्शन होना शुरू हो जाएगा।

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