गुरूग्राम के एस.डी. शिशु मन्दिर गर्ल्स हाई स्कूल की छात्राएं पहुंची सतयुग दर्शन वसुन्धरा

गुरूग्राम के एस.डी. शिशु मन्दिर गर्ल्स हाई स्कूल की छात्राएं पहुंची सतयुग...
satyug darshan
Todaybhaskar.com
Faridabad| भूपानी स्थित, दर्शनीय स्थल, ध्यान-कक्ष यानि समभाव-समदृष्टि के स्कूल को दिनाँक 18 अक्तूबर से सामान्य जनता के लिए खोल दिया गया है। कोविड-19 समबन्धी प्रशासनिक नियमावली का पालन करते हुए इस भव्य स्कूल की शोभा देखने आज अपनी प्रधानाचार्य मिस भावना सैनी व अन्य सहयोगी अध्यापकों सहित वसुन्धरा परिसर पहुँची  एस0 डी0 शिशु मन्दिर गर्ल्स हाई स्कूल की छात्राएँ एवं ‘द प्राणायाम सोसाइटी’ के सीनियर सिटीजन फोरम के सदस्य। सभी की जानकारी के लिए एकता के प्रतीक नाम से प्रसिद्ध इस भव्य स्थल को सतयुग की पहचान व मानवता का स्वाभिमान माना जाता है।
उपस्थित सभी बच्चों व सजनों को सतयुग दर्शन वसुन्धरा के मुख्य द्वार पर इस स्थान के शाब्दिक अर्थ से परिचित कराते हुए बताया गया कि सतयुग का अर्थ है आने वाला स्वर्णिम युग तथा दर्शन का अर्थ है साक्षात्कार यानि बोध व वसुन्धरा का अर्थ है धरा। इस प्रकार सतयुग दर्शन वसुन्धरा वह पावन धरा है जहाँ से आने वाले युग यानि सतयुग की संस्कृति का न केवल बोध कराया जाता है अपितु उस युग की नीति, रीति व आचार-संहिता को अपने दैनिक जीवन में ढाल कर एक अच्छे व नेक इंसान बनने की युक्तिसंगत तालीम भी वसुन्धरा पर निर्मित समभाव-समदृष्टि के स्कूल से दी जाती है।
एक विद्यार्थी के पूछने पर कि समभाव-समदृष्टि के स्कूल का निर्माण करना 1यों आवश्यक समझा गया, ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने बताया कि वर्तमान युग कलियुग में अज्ञान का अंधकार चहुं और तेजी से फैलता जा रहा है। इस अज्ञान के दुष्प्रभावों से मानव का उत्तरोत्तर चारित्रिक नैतिक पतन होता जा रहा है। इसी कारण से विभिन्न आडमबरों, कर्मकांडो व मतो-विवादो, धर्मों आदि का शिकार हुई अवविचार से ग्रसित समस्त मानव जाति नकारात्मक भाव-स्वभावों में फँस नाना प्रकार के दु:ख भोग रही है। समाज की इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति के सभी साक्षी है पर समाज को उत्थान की ओर ले जाने के विषय में कोई ठोस कदम व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, राजनीतिक व वैश्विक स्तर पर नहीं उठाए जा रहे। ऐसे में विभिन्न कष्ट-1लेशों, तापो-संतापों आदि से घिरी मानव जाति को आत्मिक ज्ञान द्वारा आत्मोद्धार करने की स्वतंत्र युक्ति बताने हेतु ही इस स्थान का निर्माण करना आवश्यक समझा गया ताकि आत्मबोध कर सबका हृदय कमल खिल उठे और सब के सब सुख की साँस ले शांति व आनद से जीवनयापन कर सके। कहा गया कि इस युक्ति का अनुकरण करने से ही सबके मन हर्षा उठेगे और वे उल्लासित हो आने वाले युग की चाल पकड़ आत्मोन्नति करने के लिए तत्पर हो जाएंगे। इस प्रकार पतन अवस्था में गई उनकी बुद्धि को ऊपर उठने का बल मिलेगा और वे अपनी आद्‌ संस्कृति को धारण कर वर्त्त-वर्त्ताव में लाने में सक्षम हो अ1लमंद नाम कहाएंगे। तभी तो एकता, एक अवस्था पनपेगी और मानव सजनता का प्रतीक बन परस्पर मैत्री-भाव से इस संसार में विचरने के योग्य हो पाएगा।
इस संदर्भ में उन्हें यह भी बताया गया कि यह कार्य सतवस्तु के कुदरती ग्रन्थ में वर्णित समभाव-समदृष्टि की युक्ति अनुसार सजन भाव की पढ़ाई को अमल में लाने से ही संभव हो पाएगा। तत्पश्चात‌ कहा गया कि सबकी सूचनार्थ सतयुग दर्शन वसुंधरा पर निर्मित इस समभाव-समदृष्टि के स्कूल से यह कार्य बखूबी निभाया जा रहा है और अब तो इसे फरीदाबाद के प्रमुख पर्यटन स्थलों की श्रेणी में समिमलित कर लिया गया है।
अंतत: सब बच्चों व सदस्यों को बताया गया कि वे अपने परिवारजनों, मित्रों, सगे समबन्धियों आदि को वसुन्धरा परिसर दिखाने किसी भी दिन ला सकते हैं। इस संदर्भ में सभी को जानकारी दी गई कि आने वाले आगंतुकों यानि विजि़टर्स के लिए इसी परिसर में ही कैफ़ेटेरिया व भोजनालय का भी समुचित प्रबंध है।

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