नम्रता भाव से सेवा करें: ब्रह्माकुमारीज ललिता     

नम्रता भाव से सेवा करें: ब्रह्माकुमारीज ललिता     
brahma kumaris

Todaybhaskar.com
Faridabad| जीवन में सबसे बड़ी गलती हम ये करते हैं, हम अपने को भूल अहम भाव में आ जाते हैं.आपने कभी सोचा हैंकी अपने अंदर अहम् भाव लाना भी एक प्रकार का अहंकार हैं हम कोई भी काम करते हैं तो अहम् भाव से करते हैं कभी नम्रता भाव से कार्य करके देखो कितना फायदा हैं|
जब हम अहम् भाव में आकर कार्य करते हैं तो कितना नुकसान होता हैं आप मंदिर जाते होंगे तो आपने देखा होगा की मंदिर में घंटा भी होता हैं तो घंटी भी होती हैं .आपने कभी सोचा हैं घंटा इतना ऊपर और हमेशा मंदिर के बाहर लगाया जाता हैं और वही घंटी मंदिर के अंदर और भगवान के पास रखा जाती हैं| आप कभी सोच कर देखो ऐसा क्यों होता हैं वो इसलिए क्योकि जबघंटा अहम् भाव में आ जाता हैं तो उसे ऊपर लगा दिया जाता हैं और घंटी के अंदर कितना नम्रता भाव होता हैं इसलिए वो भगवान के नजदीक रखा जाता हैं – अर्थात हमें भी जीवन में नम्रता भाव से रहना चाहिए न की अहम भाव यदि जब हम अहम् भाव में आते हैं और अगर हमारी बात नहीं मानी जाती हैं तो कितना क्रोध आता हैं फिर कहते  हैं हमारी बात क्यों नहीं मानी गई हमें ये मिलना चाहिए अहम् भाव जो हैं न किसी को आगे बढ़ने नहींदेती हैं इसलिए नम्रता भाव से चलो तो सब कुछ प्राप्त होगा आपने कभी सोचा हैं भगवान भी नम्रता भाव से आपने भक्तो और बच्चों का सेवा करता हैं तो जब भगवान आपने भक्तो,बच्चों का सेवा नम्रता भाव से करसकता हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते हैं हम अपने जीवन में इतना अहंकार में आ जाते हैं की नम्रता का गुणधारण करने के लिए हमें हमारे घर की चीजे भी सीख देती हैं जब हम कमरे में जाते हैं तो कर्मा का हर चीज कहता हैं जैसे पंखा कहता हैं कूल रहो, खिड़की कहती लो दुनिया को देख लो, कलेण्डर कहता हैं टू लेट, छत कहता हैं ऊंची सोच रखो, दरवाजा कहता हैं बड़ी दिल रखो इसलिए नम्रता भाव से सेवा करो जब हमारे अंदर नम्रता का भाव आ जयेगा तो हम लोगो के ही नहीं बल्कि भगवान के भी नजदीक रहेंगे सबके दिल के पास रहेंगे जब हमारे अंदर नम्रता का गुण आ जायेगा तो स्वत;ही सर्व प्राति होगी|
किसी ने क्या खूब कहा हैं पैर की मोच और छोटी सोच हमें आगे बढ़ने नहीं देती , अर्थात जब हमारे अंदर अहम् भाव आ जाता हैं तो हम अपने से हीनहीं भगवान से, सर्व प्राति से दूर हो जाते हैं इसलिए एक कहावत, ज़मीन सलाम करे , आसमान सलाम करे ऐसे अहम् मुक्त बन जाओ जो तुम्हे जहाँ सलाम करे , फरिस्ते तो तब जब चमन में बहार आते ही फूलो के साथ तुम्हे बागवान सलाम करे|

साभार- ब्रह्माकुमारीज ललिता बहन

LEAVE A REPLY