राज-पाठ छोड़ वन की ओर चले श्रीराम….

राज-पाठ छोड़ वन की ओर चले श्रीराम….
shri shraddha ramlila,

-श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी में पांचवे दिन वन का दृश्य दिखाया
Todaybhaskar.com
Faridabad। जाओ न छेड़ों न मुझकों करने दो गिरया जारी। खुशियां मनाओ तुमको क्या है पड़ी हमारी। मुंह से हैं कोई प्यारी, दिल से हैं कोई प्यारी। समझेंगी नारियां क्या मर्दो की होशियारी। दशरथ ये बात सुनकर कहते हैं….प्राण प्यारी साफ-साफ कहों क्यों नाराज हो, भगवान जानता है, नाराजगी का कारण नहीं समझे….। क्या किसी ने बदजबानी की है तुम्हारी शान में। कुछ कमी वाकई हुई या ऐश के आराम में। क्या सबब है क्यो पड़ी हो आज बालाये जमीं। आरजुये दिल जो है बतलाओ ऐ माहेजबीें। यह संवाद राजा दशरथ और केेकई के बीच श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी में रामलीला के मंच पर पांचवे दिन दिखाया गया।
रानी केकई, राजा दशरथ से सारा राज पाठ अपने बेटे भरत को देने की जिद करने लगती है। जिस पर राजा दशरथ कहते हैं नहीं रानी ये कैसे है संभव। तब रानी केकई कोप भवन में चली जाती है और श्रीराम को वन भेजने की जिद पर अड़ जाती है। यह बात सुन भगवान श्रीराम वन जाने को तैयार हो जाते हैं।
जब भगवान श्रीराम वन की ओर जाने लगते हैं तब राम, माता कौशल्या से जाकर बोलते हैं….मातेश्वरी प्रणाम। कौशल्या बोलती है..चिरंजीव रहो मेरे लाल। पूर्वजों जैसे तुम्हारी र्कीति और धर्म हो। राज सिंहासन पे तेरा बैठना शुभ कर्म हो। आओ बैठो मेरे लाल।
यह सुनकर राम जी कहते हैं माता जी, अब राजसिंहासन पर नहीं कुश आसन पर बैठने का समय आया है। क्योंकि पिता जी ने भाई भरत को छोटा जानकर अयोध्या का छोटा सा राज दिया है और मुझे सबसे बड़ा जानकर दुनिया भर के आलीशान जंगलों का राज दिया है और वन की ओर चलने लगते हैं। यह दृश्य देखकर सभी दर्शकों में दुख की लहर दौड़ गई। तभी लक्ष्मण का सब्र का बांध टुट पड़ता है और बाण हाथ में लेकर कहता है….ये क्या हुआ भ्राता जी, इतनी सी देर यह तबदीली। अपने तीरों से अभी प्रलय मचा देता हूं मैं। कामवश महाराज को कैदी बना देता हूं मैं। लक्ष्मण शांत करते हुए राम कहते हैं….लक्ष्मण, धर्म संकट में पड़े पिता जी को मुक्ति दिलाना अधिकारी होते हुए भी चक्रवर्ती राज्य को त्यागना होगा। यह कहकर श्रीराम और माता सीता, लक्ष्मण के साथ वन की ओर बढऩे लगते हैं। वहीं चौथे दृश्य में भगवान श्री राम और मल्लाह का संवाद दिखाया जाता है। राम की भूमिका में रितेश कुमार, लक्ष्मण की भूमिका में अनिल चावला, सीता की भूमिका में योगांधा वशिष्ठ ने निभाई।

फोटो-वन में भगवान श्रीराम और मल्लाह का संवाद।

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