बजट में उत्तराखंड मांगे मोर

बजट में उत्तराखंड मांगे मोर
arun jaitley

Todaybhaskar.com
desk| उत्तराखंड दूसरे राज्यों की तुलना में आकार में बेशक छोटा है, लेकिन उसके सपने छोटे नहीं है। इस बार प्रदेश केंद्रीय बजट में कुछ खास चाहता है। पलायन के दर्द से जूझ रहे पर्वतीय राज्य कृषि, औद्योगिक और पावर सेक्टर कठिन दौर से गुजर रहा है। हर बार की तरह इस बार भी सरकार इन तीन महत्वाकांक्षी सेक्टर में केंद्र से बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रही है।

बजट में अब वो चार्म नहीं
केंद्र सरकार के बजट का सबसे बड़ा आर्कषण वस्तुओं के सस्ते और महंगे होने को लेकर था। लेकिन अब अप्रत्यक्ष कर वाला हिस्सा जीएसटी में है। अब समय-समय पर जीएसटी काउंसिल के फैसलों से वस्तुओं का मूल्य तय होता है। प्रदेश सरकारों के लिहाज से अब आम बजट में मुख्य फोकस केंद्रीय योजनाओं से जुड़ा है। प्रदेश में भी भाजपा की सरकार होने की वजह से उस पर केंद्रीय इमदाद ज्यादा से ज्यादा हासिल करने का बड़ा दबाव है।

इस बार बड़ा चाहता है उत्तराखंड
एक फरवरी को केंद्र सरकार संसद में आम बजट पेश करेगी। मोदी सरकार के कार्यकाल का यह आखिरी बजट माना जा रहा है। इसलिए प्रदेश सरकार को केंद्रीय वित्त मंत्री से इस बार काफी उम्मीदें हैं। प्रदेश सरकार आम बजट में कुछ ऐसी घोषणाएं चाहती है, जिनसे उसकी कृषि, उद्योग और पावर सेक्टर से जुड़ी समस्याओं का समाधान हो जाए।

प्रदेश सरकार केंद्र से यह उम्मीद कर रही है कि वह हिमालयी राज्यों के लिए अलग से औद्योगिक नीति की घोषणा करे। इस नीति से पर्वतीय क्षेत्रों में औद्योगिक निवेश की संभावना बढ़ेगी, जिससे वहां रोजगार के अवसर सृजित होंगे। पर्वतीय क्षेत्रों की आर्थिकी को मजबूती मिलेगी। प्रदेश सरकार नीति आयोग के समक्ष यह मांग उठा चुकी है। विशेष औद्योगिक पैकेज समाप्त हो जाने के बाद से प्रदेश में औद्योगिक इकाइयां बोरिया बिस्तर समेटने की तैयारी में है। उद्योगों को रोकने और नए निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश को केंद्र से विशेष पैकेज की दरकार है।

उद्योग और निवेश दोनों का विस्तार
वर्ष-सूक्ष्म एवं लघु उद्योग-निवेश
2000-01-15,282-707.39 करोड़
2016-17-52,487-11,221.13 करोड़

बडे़ उद्योगों में निवेश
2000-01- 40-8,322 करोड़
2016-17-273-35,225 करोड़

क्या ऋण माफी होगी?

prime minister narendra modi
केंद्रीय बजट को लेकर सियासी हलकों में यह सवाल भी शिद्दत से तैर रहा है कि क्या केंद्र सरकार कर्ज में डूबे किसानों की ऋण माफी का कोई फार्मूला लेकर सामने आएगी। केंद्र सरकार से किसी सेक्टर मदद की सबसे ज्यादा दरकार है तो वह प्रदेश का कृषि क्षेत्र है।

जब राज्य बना तो इस सेक्टर का जीडीपी में योगदान करीब 22 फीसदी था, आज यह घटकर 11 फीसदी रह गया है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक,  प्रदेश में 699044 किसानों ने प्रदेश सरकार से 10,968 करोड़ रुपये का कर्ज है। इस कर्ज पर एक साल का ब्याज 934.32 करोड़ रुपये का है। प्रदेश में 10.45 लाख किसान है, जिसके आधे से ज्यादा कर्जदार हैं। ये किसान केंद्र सरकार की ओर देख रहे हैं कि क्या वह इस बजट में उन्हें कर्ज से मुक्ति दिलाएगी?

आंकड़ों के आइने में खेती
-10,45,674 किसान हैं उत्त्तराखंड में
-247256 लोग खेती के श्रम से जुड़े हैं
-700171 हेक्टेयर शुद्ध बोया हुआ क्षेत्र है
-769944 हेक्टेयर शुद्ध बोया हुआ क्षेत्र था 2000-01
-699094 सीमांत किसानों ने 10,968 करोड़ के कर्जदार

पावर सेक्टर में क्या आएगी पावर

जल विद्युत परियोजना
प्रदेश सरकार का पावर सेक्टर इस समय बुरे दौर से गुजर रहा है। जिन महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को लेकर उत्तराखंड को पावर स्टेट के तौर पर देखा जा रहा था, पर्यावरणीय कारणों से उन पर ब्रेक लगा हुआ है। यह बड़ा सवाल है कि केंद्र सरकार उत्तराखंड की जल विद्युत परियोजनाओं में जान डालने के लिए किसी नीति का मंत्र फूंकेंगी?

आंकड़ों की निगाहें
35 जल विद्युत परियोजनाएं अधर में लटकी हैं
40 हजार करोड़ रुपये के निवेश की संभावनाएं
4 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा

केंद्रीय वित्तीय मंत्री से मुलाकात करके उत्तराखंड राज्य के कृषि, उद्योग समेत विभिन्न सेक्टरों में सहयोग की अपेक्षा की गई है। 14वें वित्त में केंद्रीय करों का 42 फीसदी अनुदान के रूप में देने के बाद अतिरिक्त केंद्रीय मदद बंद है। अब राज्यों की मांग पर केंद्र सरकार परियोजनाएं दे रही है, जिनमें वह शत-प्रतिशत निवेश कर रही है। ऑलवेदर रोड व नमामी गंगे परियोजनाएं इसका उदाहरण है।
– प्रकाश पंत, वित्त मंत्री

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