रसोई के कूड़े से बनेगा बायो फ्यूल

रसोई के कूड़े से बनेगा बायो फ्यूल
indian oil

Todaybhaskar.com
फरीदाबाद।  इंडियन ऑयल के अनुसंधान एवं विकास केंद्र द्वारा विकसित आईओसी डीबीटी लांजाटैक पायलट प्लांट का उद्ïघाटन किया तथा बायोमिथेनेशन प्लांट का शिलान्यास केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृृृृष्णपाल गुर्जर एवं हरियाणा के उद्योग एवं पर्यावरण मंत्री विपुल गोयल ने शुक्रवार की शाम को किया। इस अवसर पर इंडियन ऑयल के चेयरमैन संजीव सिंह, लांजाटेक की सीईओ डा.जेनिफर होल्मग्रैन, आईओसी के निदेशक डा. एसएसवी रामाकुमार भी उपस्थित थे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आईओसी-डीबीटी-लांजाटेक पायलट प्लांट से कार्बन डायआक्साइड को लिपिड में बदलने का कार्य होगा। तीसरी पीढ़ी के इस जैव इंधन तकनीक का विकास इंडियन ऑयल आरएंडडी केंद्र में उच्च जैव ऊर्जा तकनीक के लिए किया गया। इससे कार्बन डायऑक्साइड को एसेटिक में बदलने के लिए लांजा-टेक यूएसए की एनारोबिक गैस किण्वयन तकनीक जाएगी तथा दूसरा ओमेगा-3 फैटी एसिड सहित एसेटिक एसिड को लिपिड (एल्गल ऑयल) में बदलने के लिए इंडियन ऑयल आरएंडडी एरोबिक किण्वन तकनीक है। इसी प्रकार 5 मीट्रिक टन प्रतिदिन उत्पादन करने वाले बायोमेथेनेशन प्लांट से अपशिष्टों को कीमती इंधन में बदला जाएगा। इस तकनीक के द्वारा जैविक अपशिष्टों (नगर निगम ठोस अपशिष्ट) को ऊर्जा में बदला जाएगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व भर में भारत की साख बढ़ाई है। राष्ट्रीय स्तर पर अनेक परिवर्तन कर देश को प्रगति के रास्ते पर लाया गया है। महिलाओं को धुएं से बचाने के लिए उज्ज्वला योजना के तहत 5 करोड़ रसोई गैस कनेक्शन दिए गए हैं। देश में लगातार होने वाले अनुसंधानों से प्रगति के रास्ते खुल रहे हैं।
उद्योग एवं पयार्वरण मंत्री विपुल गोयल ने कहा कि पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने महिलाओं को धुएं से बचाने का कार्य किया है। इसी प्रकार उन्होंने कौशल विकास में भी देश को बहुत आगे पहुंचाने का कार्य किया है। उनका सपना है कि हर खंड में एक आईटीआई बनाई जाए। इसी के तहत प्रदेश में 700 से अधिक कौशल विकास केद्रं खोले गए हैं। उन्होंने कहा कि आईओसी ने अब तक 847 पैटेंट किए, जिनमें से अब तक 611 एक्टिव भी हैं। भविष्य में ऐसी खोज भी हो गई है कि किसानों को खेत में पराली जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, अपितु इससे ऊर्जा बनाई जाएगी।

इंडियन ऑयल के चेयरमैन संजीव सिंह व निदेशक एसएसवी रामाकुमार ने भी आईओसी की उपलब्धियों व लगातार हो रहे नए अनुसंधानों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि घरेलू बायोमेथेनेशन तकनीक से जैविक अपशिष्टों से उपयोगी बायो-गैस तैयार करने में सहायता मिलेगी, जिस इंधन का इस्तेमाल खाना बनाने, बल्ब चलाने और ऑटोमोबाइल आदि में किया जाता है। नगर निकायों और दूसरे शहरों जैसे गुरुग्राम एवं नई दिल्ली आदि ने फरीदाबाद बायो-मेथेनेशन परियोजना के मॉडल में गहरी रुचि दिखाई है।
बायो-मेथेनेशन प्लांट के लिए, हरियाणा शाहरी विकास प्राधिकरण ने फरीदाबाद के सेक्टर -13 में इंडियनऑयल-आरएंडडी सेंटर के पीछे 3 हजार वर्ग मीटर जमीन उपलब्ध कराई है। इस प्रयास में, नगर निगम फरीदाबाद संयंत्र के लिए अपनी सहयोगी मैसर्स इको ग्रीन एनर्जी के माध्यम से आवश्यक मात्रा में पृथक कार्बनिक अपशिष्ट की आश्वासित आपूर्ति करेगा। पांच टन प्रति दिन संयंत्र प्रति दिन 250 किलोग्राम से अधिक बायोगैस का उत्पादन करेगा, जो कि 18 एलपीजी सिलेंडरों के बराबर है और 450 किलोग्राम से ज्यादा जैव-खाद की फरीदाबाद के बागानों में उर्वरकों के तौर पर आपूर्ति की जाएगी और इसे हरियाणा शाहरी विकास प्राधिकरण द्वारा बनाए रखा जाएगा. सीएसआर पहल के हिस्से के तौर पर, इंडियनऑयल इस्कॉन फूड रिलीफ ऑर्गेनाइजेशन के साथ मिलकर इस्कॉन की फरीदाबाद रसोई में बायोगैस की आपूर्ति करता है, ये रसोई मिड डे मील योजना के तहत फरीदाबाद में सरकारी स्कूल के 60,000 बच्चों के लिए भोजन बनाती है। इस अवसर पर बडख़ल की विधायक सीमा त्रिखा, मेयर सुमन बाला, वरिष्ठï उप महापौर देवेदं्र चौधरी, भाजपा जिला अध्यक्ष गोपाल शर्मा, भूमि सुधार आयोग के चैयरमैन अजय गौड़ व अन्य मौजूद रहे।

फोटो- इंडियन ऑयल के अनुसंधान एवं विकास केंद्र द्वारा विकसित आईओसी डीबीटी लांजाटैक पायलट प्लांट का उद्ïघाटन करते केंद्रीय मंत्री कष्णपाल एवं साथ में खड़े उद्योग मंत्री विपुल गोयल।

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