खाना-पीना, उठना-जागना, सब कुछ मेरे लिए थियेटर है

खाना-पीना, उठना-जागना, सब कुछ मेरे लिए थियेटर है
brij nat mandali

-ग्रामीणों को नि:शुल्क दिखाते हैं थियेटर
यशवी गोयल 
फरीदाबाद। खाना-पीना, उठना-जागना, हंसना-रोना सब कुछ मेरे लिए थियेटर ही है। विरासत में पिता पंडित मित्र सेन से मिली कला को आज बृज मोहन भारद्वाज गांव-गांव तक पहुंचा रहे हैं। टुडे भास्कर की पत्रकार यशवी गोयल ने बृज नट मंडली के डायरेक्टर बृज मोहन भारद्ववाज से विश्व रंग कर्मी दिवस के अवसर पर खास बातचीत की। 
बृज मोहन भारद्वाज ने बताया कि उनके लिए सब कुछ थियेटर ही है। वह 12 साल की उम्र से ही नाटक मंचन करने लगे थे। 1997 में उन्होंने पहली बार गालिब सभागार में जलियावाला बाग नाटक का मंचन किया था। जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग इक्ट्टा हुए थे। आज वह 32 वर्ष के हो चके हैं। बृज मोहन ने बताया कि एक दौर था जब हम युवाओं को समझा-बुझा कर थियेटर करने के लिए मंजुर करते थे लेकिन आज के आधुनिक दौर में थियेटर को युवा प्रोफेशन के रूप में चयन कर रहे हैं। जिससे युवाओं का इस ओर रूझान बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि गांव के लोग खेती पर ही निर्भर होते हैं, जिसके कारण वह थियेटर की टिकट लेकर नहीं देख सकते और उनका शहर में आना भी बहुत मुश्किल होता है। जिसको देखते हुए मैंने ग्रामीणों को थियेटर दिखाने का बीड़ा उठाया है। अब वह गांव-गांव जाकर नि:शुल्क नाटक मंचन का आयोजन करते हैं और ग्रामीण नाटकों पसंद भी कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि एक बार जिसको नाटक मंचन का रंग चढ़ जाए वह जिंदगी भर इसके रंग में रंग जाता है। बृज मोहन ने 2014 के चुनाव में मोदी सरकार के लिए काम किया था। बृज मोहन साउथ एशियन यूनिवर्सिटी फेस्ट हिंदुस्तानी में नेशनल स्तर पर गोल्ड मेडल जीत चुके है। उन्होंने आगामी पीढ़ी को थियेटर के प्रोफेशन में आने की सलाह देते हुए कहा कि काम के दौरान हर इंसान को मुसिबतों का सामना करना पड़ता है और मैंने भी एक थियेटर आर्टिस्ट होने के कारण बहुत सी परेशानियों का सामना किया है, लेकिन जो इन परेशानियों से ऊपर उठकर कुछ करता है। वह जिंदगी में सफलता को पाता है। उन्होंने बताया कि आज थियेटर एक प्रोफेशन बन चुका है। बहुत से लोग फिल्मी जगत में जाकर काम कर रहे हैं लेकिन वह फरीदाबाद शहर में रहकर लोगों को थियेटर का लोहा मनवाना चाहते हंै। जिसको लेकर वह दिन रात मेहनत में लगे हुए हैं। बृज ने कहा कि उनका एक सपना है कि शहर में एक ऐसा सभागार बने जहां रंगकर्मी अपना नाटक मंचन नि:शुल्क कर सके। क्योंकि रंग कर्मी को नाटक मंचन करने के लिए सभागार की आवशयकता पड़ती है। जिसके लिए उन्हें बहुत मोटी रकम सभागार मालिक को चुकानी पड़ती है। यदि मैंं एक सभागार भी  फरीदाबाद को दे सका तो मेरा रंग कर्मी का जीवन सफल हो जाएगा।

brij nat mandali

#सोशल मीडिया पर चलाते हैं ग्रुप
बृज मोहन भारद्वाज सोशल मीडिया फेसबुक, व्हाटसएप के जरिए लोगों से जुड़े हुए है। वह फेसबुक के जरिए लोगों को नाटक देखने के लिए आमंत्रित करते हैं। वहींं जिन युवाओं को उनसे प्रश्ािक्षण लेना है वह भी सोशल मीडिया के जरिए उनके साथ जुड़ सकते हैं।

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